Saturday, September 6, 2008

Dev Anand




में जिंदगी का साथ निभाता चला गया
हर फिकर को धुएँ में उडाता चला गया

बरबादियों का शोक मानना फिजूल था
बरबादियों का जश्न मनाता चला गया
हर फिकर को धुएँ में uda�

जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया
जो खो गया में उसको भूलता चला गया
हर फिकर को धुएँ में Uda�

ग़म और खुशी में फर्क न महसूस हो जहाँ
में दिल को उस मुकाम पे लाता चला गया
हर फिकर को धुएँ में Uda�






हम हैं राही प्यार के हम से कुछ ना बोलिए
जो भी प्यार से मिला, हम उसी के हो लिए
दर्द भी हमे कबूल चैन भी हमे कबूल
हम ने हर तरह के फूल हार में पिरो लिए
धूप थी नसीब में, धुप में लिया हैं दम
चांदनी मिली तो हम चांदनी में सो लिए
दिल पे आसरा किए, हम तो बस यूं ही जिए
एक कदम पे हस लिए, एक कदम पे रो लिए
राह में पड़े हैं हम कब से आप की कसम
देखिये तो कम से कम बोलिए ना बोलिए

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